Monday, December 28, 2009

तुझे मेरी.....

तुझे मेरी बर्बादी का, इलज़ाम लगाने के बाद।
मुझे होगी तसल्ली तुझे, बदनाम करने के बाद...

तेरे लिए है किस कदर, नफरत क्या बताऊ अब।
खिलेगी हँसी तुझे ग़म ,तमाम देने के बाद॥

अपने पूरे जिंदगी का, सुकून भरा जस्न ।
मनाऊंगा रुसवा तुझे ,सरेआम करने के बाद॥

तुने जो दिया जख्म,अब तो बस ये सोचा है।
हूँगा रुक्सत दुनिया से, इन्तक़ाम लेने के बाद॥

तड़पता हुवा हर रोज़, इस मजार से उस मजार तक।
गुजरुंगा तेरी गली से तुझे ,सलाम करने के बाद......



Sunday, December 27, 2009

प्रिया

प्रिया,
तिमीलाई अंगालो भरी बेरेर सपना देखेको पल,तिम्रा ठूला ठूला सागर झैं छाल्किने आँखाको अबोधतामा बिस्तारै बिस्तारै दुब्दै गर्दाको पल,जब निलो आकाशमा चारैतिर छारिएका बादलका टुक्राहरुमा तिम्रो अनुहार खोज्दै थिएं.
अनि उही टुक्राहरुमा तिम्रो नाम कल्पदै लेख्दै गर्दा म फेरी एक पटक झसंग भएर तर्सिए। अनि हठात ऐना हेरें ,
म उही थिएं। म उही थिएं जसलाई हेरेर हिजो तिमी भन्ने गर्थ्यौ ,"तिमी बिना म एक पल पनि बाँच्न सक्दिन"।
अनि हत्केला भरी मेरो अनुहार थामेर.अबरुद्ध गला लिई मेरो छातिमा टासिन्थ्यौ। प्रिया, तिमी पनि त त्यसपल मलाई माया गर्थ्यौ। तर आज तिमी पराईकी कसरी भयौ? तिमी रंगीएर गएको पल म रगतले पोतिएको थिएं।
तिमीले पोते लगाएको पल मैले पनि पासो कसेको थिएं अनि आत्महत्यको सांघुरो गल्लिमा
कदम बढ़ाएको थिएं तर मर्न साकिन। अनि फेरी निलो आकाशमा तिम्रो अनुहार खोज्न थालें।तिमी सुहागरातमा बाहुपाशको मिठो घेरमा कैदी भैरहेथ्यौ म बेहोशी मै तिम्रो नाम
लिईरहेथें। तिमी घरी घरी आउथ्यौ म अंगालो भरी तिमीलाई लिन चाहन्थें तिमी बिलाउथ्यौ। तिमी रातभरि म संग नभएर पनि म संग थियौ।
प्रिया,
पहाड़हरुको घेरा काटेर विदेशी माटोमा पाईला टेक्दै गर्दा तिम्रो मनमा पनि सियोले झैं चस्स
दुख्यो होला,तिमीले पछाड़ी फर्केर हेर्यौ होला,अनि अलिकति डर अलिकति खुसीले अघि बढ़यौ होला.म जान्दछू तिमीले कदम बढ़ाउदै गर्दा मेरो याद पक्कै आयो होला,अनि एकपलको लागी मन दुख्यो होला। आफ्नो आँखाको आंसूलाई लूकाउन खोज्यौ होला।
प्रिया ,म त एक्लो छू, तिमीले जस्तो छोडेर गएकी थियौ उस्तै छू।
तिमीलाई मेरो शुभकामना



Saturday, December 26, 2009

नेपाली ग़ज़ल

मेरो मुटु आज फेरी जलाएर जाने लाई।
बिना मौसम हुरी बतास चलाएर जाने लाई ..

कसले भन्ला यो मुटुको उथुल पुथुल उसैलाई ।
मेरो मनमा प्रेम बनी पलाएर जाने लाई॥

कसरी म रोकौ जब नागिनी झै चाल चाल्दै।
मेरै अघि सुलुलू सल्बलाएर जाने लाई॥

के भनौ म,पसलमा हिजो साँझ आँखा जुध्धा।
लरबराइ पानीको जग ढलाएर जाने लाई॥


Saturday, December 12, 2009

नेपाली गीत

थांती राख प्रिया मेरो माया मुटु मांझ
आउदैछु म तिमीलाई आफ्नो संगी बनाउन ॥
दुनियाले रोके पनि समाजले छेके पनि ।
निभाउदै कसम तिम्रो सिउंदो सजाउन ॥

ओछ्याएर आँखा ,तिमी आउने बाटो भरी।
कल्पदैछु तिम्रो न्यानो हात समांउन ।
चांडै आउ निस्ठुरी यो समयको चाल भन्दा ,
हाम्रो चोखो पिरतीको बाचा निभाउन ॥

कसरी पो सहें मैले बिछोडका पलहरु,
सक्दिन म अब अरु मुटु जलाउन ॥
म पनि ता तिमी जस्तै रोए रातभरी
तर पनि सकिन यो ख़बर पठाउन ॥

अंगालोमा आउ प्रिया टुटने छैन प्रेम हाम्रो,
मायामा नै बाच्ने मरने रीती बनाउन ............


Thursday, December 10, 2009

इश्क को------

इश्क को रखेंगे हम पत्थर बना कर सिने में ।
के एक तेरी याद हमेशा आती रहे।
तुने तोडा है इस दिल को फ़िर भी।
तेरी दुनिया रौशनी से जगमगाती रहे॥

हमारा है क्या चन्द लम्हों के मुसाफिर ,
कभी मिले थे हम भी भूल जाना तुम।
जब गुजरेंगे तुम्हारी गली से किसी रोज़ ।
मुड कर देखेंगे जरूर,एक बार बुलाना तुम॥

वो बातें अपनी और वो हसने रोने की बुनियादें,
जब कभी शाम को,हवा का एक झोंका
तुम्हारी याद से हमे बिखर कर जाएगा,
और हम बेचैन निगाहों से तुम्हे इधर उधर देखेंगे,
तुम अगर सामने आ न सको,
गुजारिश है इतनी,मेरे ख़यालों में बस कर,
दिल की तस्सली के लिए,मेरी यादों में आ जाना तुम॥

कुछ चीजें मेरी,बहोत क़ीमती।
अब भी सायद वही पर है,
वो बेकरारी से भरी धडकनों की तेज़ रफ़्तार।
इंतजार में तड़प कर गुजरता हुआ हर लम्हा,
जब पहली बार तुम्हारा नाम अपने हाथ में लिखा,
और अनजानी शर्म से जब मेरा चेहरा लाल हुआ था,
मेरी चहरे की वो पहली लाली ,सब सब तुम्हारे पास है।
अगर मिल जाए कभी तुम्हे ये सारी चीजें,
तो देर मत करना तुम
मेरे जीने का जरिया ,मुझको लौटा देना तुम
मेरे जीने का जरिया मुझको लौटा देना तुम.......





Monday, November 16, 2009

तुमसे.....

तुम से प्यार करना ये अलग बात थी।
और तुम पे मरना ये अलग बात थी॥

चहा था तुमको, जिंदगी की तरह।
अपने मौत से डरना, ये अलग बात थी॥

होता अगर और भी कुछ ,जिंदगी के सिवा।
लुटा देते ,वरना ये अलग बात थी॥

यों तो बहोत है हमे देखने वाले भी मगर।
तुम्हारे लिए संवरना ये अलग बात थी..



तुम्हारी आँखे

तुम्हारी वो बोलती हुई आँखे ।
दिल के राज़ को खोलती हुई आँखे॥

इंतजार मे मेरी शायद घंटो तलक,
सुने आसमान को टटोलती हुई आँखे॥

क्या कहू वो मासूम सी शरारत से।
कभी इधर से उधर डोलती हुई आँखे॥





बुलबुल को लगी

म जस्ता अरु धेरै रोज्दै छे रे हिजो आज।
बुलबुल अर्कै अनुरागी खोज्दै छे रे हिजोआज ..

जगाएर प्यास मनमा,एक्लै एक्लै छोड़ीदिने ।
परदेसी को बारेमानै सोच्दै छे रे हिजोआज ॥

आफ्नै रातो रागतले गुलाफ़लाई रंगाउन।
कांडा माझ आफ्नै मुटु घोच्दै छे रे हिजोआज॥




Tuesday, October 27, 2009

पैमाना .....

पैमाना,बगैर ज़ाम खालि के सिवा कुछ नही।
जिंदगी एक गन्दी गाली के सिवा कुछ नही॥

बिकते है हर रोज़ जिस्म यहाँ बाजारों मै
जो बेबसी पर गूंजती ताली के सिवा कुछ नही॥

क्या कहु अपनी क़िस्मत,एक ऐसे पेड़ की,
न गिरती न झूलती डाली के सिवा कुछ नही॥

कबाब समझ कर खाता है जो नमक रोटी भी।
दाने दाने को तरसती थाली के सिवा कुछ नही..



Friday, October 16, 2009

कुछ तो हुवा है ......

कुछ तो हुवा था,उस रात की खामोशी में।
मेरी तस्वीर मिली थी उन आंखों की मदहोशी में॥

घबराया हुवा सा फ़िर रहा है मेरा यार तनहा तनहा।
सायद उसने दिल खोया है,इन बाहों की सरगोशी में॥

उसकी हथेली पर सायद वो मेरा ही नाम था।
जो लिखा था उसने मेरी जुस्तजू की बेहोशी में॥

बता रहा हु मै ऐ यार अपना हल-ऐ- क़रार तुझको।
के तेरा ही वजूद है मेरे दिल की सरफ़रोशी मै ...




Wednesday, October 14, 2009

तुम्हारी आंखों में

तुम्हारी आंखों में कोई ख्वाब नजर आता हे
सुबह का खिलता हुवा आफ़ताब नज़र आता हे।

तुम मुस्कुराते हो तो जी उठती हे जिंदगी।
तुम्हारी हसीं में वक्त का ठहराब नज़र आता हे।

रोज़-ओ-शब् जिनकी याद में मचलती हे आरजू
उन आंखों में इश्क का सैलाब नज़र आता हे॥

छुपालो अपना इश्क हमसे ,पर तुम्हारे चहरे पर ।
वो तुम्हारा शर्माना बेहिसाब नज़र आता हे॥




Friday, October 9, 2009

तुम्हारे लिए

तन्हाई में कभी अपने आप से बात करती हूँ
यों ही अपने आँचल को उँगलियों में लपेटते
हुए ।
बीते हुए लमहों को आँखों में सजाते हुए....
याद है तुम्हे, जब वक्त को रोकने के लिए
मैंने अपनी हाथ की घड़ी को बंद किया था
तुम खामोश होकर मेरी तरफ़ देख रहे थे ।
और उसी उदास शाम के साथ साथ
तुम्हारी भी आँखे नम होगई थी ......
तुम अपने आंसूवो को रोकने के लिए
बड़ी देर तक आसमान को टटोल रहे थे
में भी गुमसुम सी बस तुम्हारे जाने का इतंजार कर रही थी.......
कैसा रिश्ता था वो,कितना सुकून कितना करार....
जुदा होकर भी पास होने का एहेसास ॥
दिल के कोने में वो कोई मीठा सा दर्द
सायद वो इश्क ही था जिसके लिए हम जिंदा थे..
में सलाम करती हूँ उस इश्क को....
जो दुनिया को इतना मीठा एहेसास दिलाता है....
और सलाम तुमको जो मेरे दिल में हमेशा से धड़क रहे हो ...
सलाम......सलाम......






Monday, September 28, 2009

जब हम-----

इश्क में थे हम तो सब अच्छा लगता था।
क्या कहें दर्द का सबब अच्छा लगता था॥

मत दो इल्ज़ाम हमे, ये जानते हो तुम भी।
तुम्हारा रूठना हमे कब अच्छा लगता था॥

मिट गए थे तुम्हारे लिए,उस दौर की बात है।
क़यामत भी हम को जब अच्छा लगता था॥

बताये हम तुम्हे के गुस्से मे तुम्हारा।
वो हाथ झटकना हमको तब अच्छा लगता था.....




Sunday, September 27, 2009

नेपाली ग़ज़ल - गल्ली गल्ली बस्ती बस्ती

गल्ली गल्ली बस्ती बस्ती मैले गुंडा राज देखें ।
तिमी भित्र पनि मैले लोग्ने मान्छेकै समाज देखें॥

पुरूष हुनुको खोक्रो घमंडले भरिएको ।
तिम्रो शिरमा पनि मैले उस्तै ताज देखें॥

तिम्रो उही आदर्शलाई कैद गरि राखिएको।
तिम्रै घरमा मैले एउटा बंद दराज देखें॥

नारी सती नारी सीता नारी दुर्गा बिर्सीएछौ
आउंदा तूफान तिम्रो डुबेको जहाज देखें..





Thursday, September 17, 2009

नेपाली ग़ज़ल - आएन दशैं खै मेरो लागी

आएन दशैं खै मेरो लागी,शरद लाग्दा नि।
पहाड़ पारी माइती घरमा जमरा राख्दा नि॥

दिन गन्दै बसेबर्ष दिन भरी ,यो दैब निष्ठुरी।
लागेन दया,म रुंदा रुँदै रातभरि जाग्दा नि॥

नहेर आमा मुलबाटो तिमी नकुर मलाई।
म आउने छैन,तिमीले जति दोबाटो ताक्द नि॥

टिकाको दिन ती नयाँ लुगा,फ़ुर्कदै घुमेको।
सम्झन्छु आज सपना देख्दै यी आँखा थाक्दा नि॥

यी बैरी रैछन यहाँका मान्छे,सुनेनन केहीगरी।
दुई हात जोड़दै,बिलौना गरी तिमीले डाक्दा नि॥




Wednesday, September 16, 2009

नेपाली ग़ज़ल - रंगिएको सिंउदो तर

रंगिएको सिंउदो तर, मनमा तिम्रो याद किन
बुझ्न कहिले नसकिने ,आफ्नै मनको बात किन॥

होइन म तिम्री प्रिया,छैन कुनै नाता तर ।
फेरी पनि प्यारो लाग्छ मलाई तिम्रो साथ किन॥

समाजको बंधन भित्र,पिल्सिएको जिन्दगी यो।
अंगालोमा बांधिदा नि,रित्तो मेरो रात किन॥

अनुमति छैन मलाई, थाह हुंदा हुँदै पनि ।
चाहान्छु म समाउन , उही तिम्रो हात किन॥

कसरी म सत्य लुकाऊ उनका निर्दोष आँखा छली।
बुझ्दिन आखिर म बाट नै हुन्छ यस्तो घात किन॥



Tuesday, September 8, 2009

रहने दो....

रहने दो बेहोश हमे ,होश में तो उनकी याद आती है।
अच्छा है के बंद है निगाहें हमारी,खुली आँखों को तो तन्हाई सताती है..

रहने दो परदे में उन्हें,के रहे सलामत हुस्न उनका ।
जो पड़ी हमारी निगाहें उनपर ,वो कहते है के उनकी सांसे रुक जाती है..

चले जायँगे हम उनकी शहर से,के आख़री बार मिलने की तमन्ना है॥
सुना है के एक उनकी हँसी,दिलों पर क़यामत ढाती है......





Sunday, September 6, 2009

नेपाली ग़ज़ल - आज फेरी त्यो प्रेम कहानी

आज फेरी त्यो प्रेम कहानी नमाग ..
यो दिल जलेको निशानी नमाग..

तिमीले माग्यौ मुटु ,मैले जिंदगी नै सुम्पीदिए ।
बिन्ती फेरी भिजेको यो सिरानी नमाग...

पर्खीएर तिमीलाई ,बचेर भीड़देखि।
नजर नजर जुधाउने बानी नमाग ..

तिमी टाढा भए पनि, हर साँझ तिम्रै लागी।
जलेको यो मुटु जानी जानी नमाग.....





Wednesday, September 2, 2009

कितना मुश्किल है.

कितना मुश्किल होता है,आँखों से बहते आंसुवो को रोकना।
जैसे के धीरे धीरे ज़हर कोई उतर रहा को सीने में ....

ऐ अजनबी तू कल भी अजनबी था ,आज भी अजनबी है।
ये सायद हमारी ही भूल थी,के करीब आ गए हम.............






दिल को तोड़ने वाले

तुने तोड़े है कसम जो प्यार के थे
तेरे हाथों में अब खून की महक आती है
तेरी आँखों में भरा है गुरूर का अक्श
तेरी नज़रे मुझे अलग ही मंज़र दिखाती है .....

तू क्या था जो महोब्बत में था ।
तेरे धडकनों में दर्द का साज़ गूंजता था ।
जो तू रुक्सत हुवा उस मोड़ से ।
जब उस पार मिला तो कुछ बदला बदला सा था ....



Friday, August 28, 2009

ख़बर है के

ख़बर है के मौत आरही है मेरे घर ।
सामान अपना अपने साथ लारही है मेरे घर॥

जानना है तो आजाओ ,लुटी कैसे मेरी कश्ती।
ये शाम जख्मी फ़साने, सुनारही है मेरे घर॥

गुमसुम मायूस सी ,निगाहें तुम्हारी।
सायद कोई राज़ छूपारही है मेरे घर॥






अनकहे अहसास

तेरी धडकनों को सुनकर एक ख़याल आया है।
के दुनिया बेरंग है तेरे बिना
बहूत दिनों के बाद तेरी आँखोंमें ,मैंने इश्क का एक सैलाब देखा।
मैं उसमे डूबती गई और तू मुझे डुबोता चलागया ..........




Thursday, August 27, 2009

अपना अलग आशियाँ

अपना अलग आशियाँ बनाओगे कैसे।
अरमानो को फ़िर से जगाओगे कैसे॥

वो बातें वो यादें ,गुजरे हुए कल के।
उन यादो से दूर तुम जाओगे कैसे॥

हुए जो कभी रूबरू राह चलते चलते।
बीते हुए लम्हों से नज़र मिलाओगे कैसे॥

हिल जाओगे तुम भी अगर वक्त ने करवट ले लिया।
अपने पहले इश्क का दर्द भूलाओगे कैसे॥

तुम ने तो निकला है उसे अपने दिल से।
पर उसके दिल से खुदको निकालोगे कैसे...





मुझको बनने वाले

मुझको बनाने वाले ,इतना करम किया होता।
मेरी होठो पर भी होती हँसी,अगर तुने दिल न बनाया होता॥

कैसे बताये हम फ़साने,लुटे हुए अरमानो का।
हमारी भी आज संवरती मांग अगर तुने हाथ बढाया होता॥

जलाकर इस नादाँ दिल को,जो उस मोड़ से गुजर गया॥
सुकून मिलता मेरे दिल को,अगर मुझे भी तुने जलाया होता॥

आज न तू है ,न तेरे आने की वो आहट।
शिकाएत इतनी है असमान वाले से,हम यु न बरबाद होते,
अगर तुने महोब्बत न सिखाया होता.....




Tuesday, May 26, 2009

तुम जो दूर....

तुम दूर हुए मुझसे,जिंदगी रुकसी गई,
छूके देखती हु खुदको, कोई अजनबी सा एहेसास होता है,
तुम नज़र झुकाया क्यों करते हो।
तुम मु को मोडा क्यों करते हो,
दूर होने का कोई बहाना ही बनादो।
इसतरह से खामोश मेरे दिलको तोडा क्यों करते हो,

अपनी ही परछाई से भागती हु मैं

डरते हुए सेहेमते हुए रातें युही कटती है मेरी,
तुम्हारी यादें परेशां करती है मुझे ,मैं
उनसे बचने के लिए खुदको छुपाया करती हु,
अब ना कोई उम्मीद ,ना कोई रास्ता साथ चलने का,
मेरे दिल मैं तो आज भी धड़कते हो तुम,
अब कोई ज़िक्र मत करो ख़ुद को बदलने का ,

सर को झुकाए खड़ी हु मैं,कोई फ़ैसला सुनादो
बस एक बार आखरी बार मुझसे नज़र मिलालो,
उस एक पल में मैं सदियों जीना चाहती हु।
उसीतरह जैसे तुम कभी मुझे देखा करते थे,
और उसी तरह जैसे मैं भी कभी जिया करती थी।

आदत सी होगई मुझे खामोश रहेने की,हँसी होठो तक आते आते खोजाती है,
कोई बहाना भी अब नही मिलता जो तन्हाई में कभी ,
दीवारों से लिपटकर रोऊ मैं
कहाँ से लाऊ वो दिल,जो अपने प्यार को जाते हुए देखू,
कैसे देखू धड़कन को देल से अलग होते हुए?
कैसे देखू होठो से हँसी को अलग होते हुए?
कैसे देखू इन हाथो से तुम्हारे नाम की लकीरों को अलग होते हुए?
आँखों से सपनो को अलग होते हुए।
इस जिंदगी से तुम को अलग होते हुए
इस जिंदगी से तुम को अलग होते हुए................





Friday, May 22, 2009

तू जान है मेरी

तू जान है मेरी ,यही जानकर सायद मेरी जान लिए जाता है
होकर दूर मुझसे ,मेरी तन्हाईयों को छेडा करता है
कैसे रोकू मैं ख़ुद को तुझसे प्यार करने से
तू जालिम है फ़िर भी लेकिन,ये दिल है के तुझपर ही मरता है.............