Monday, August 25, 2014

बेनक़ाब हो जा ज़रा चेहरा दिखा दे मुझ को 
तू कौन है मेरा ये भी बता दे मुझ को 

नामुमकीन है जहाँ में ,शीशे का दिल लिए फिरना 
मेरे मालीक रहम कर ,पत्थर का बना दे मुझ को 

मेरी हर उम्मीद नाउम्मीद हो के कहती रही 
मैंने तुझ से कब ये कहा तू अपनी वफ़ा दे मुझ को 

कभी हवाओं में घुल जा,कभी आहटों में घिर जा 
बस के तू हर सु तेरे होने का निशां दे मुझ को 

स्याह रातों के बज़्म में दिल तेरा घबराए अगर 
खोल मेरी यादों की खिड़की और सदा दे मुझ को.

Saturday, July 26, 2014

मीटा नहीं है अभी तक,यादोँ का एक घर है मुझ मैं 
जुबां तक जो न आया कभी,ज़ज्बातों का भंवर है मुझ में 

तमाम उम्र का सवाल आये तो वहीँ ठहर जाओ तुम 
तनहा ही चले चलने का जज़्बा ऐ सफर है मुझ में 

तुम्हारे जी में आये जितना मेरे आँखों को नम करो तो करो 
दर्द के साये में भी ,हंसने का हुनर है मुझ में 

Friday, January 17, 2014

वक़्त का  गुज़र जाना
लमहों का ठहर जाना 
हर ज़ख्म  बनके आँशु 
हरफ़ों  में बिखर जाना

जो ख्वाब हमने  देखा
वो ख्वाब हुवा तनहा
ना रात हुई  मेरी 
और ना ही सहर जानां  

देखा ना कभी  तुमने 
काजल का भीग जाना 
आँखों के समंदर मे
तूफां का लहर जानां 

जिस दिन से मेरी राहें 
मंज़िल से जुदा होगी 
किस काम का फिर होगा 
ये गर्त -ऐ -सफऱ  जानां 

इतना तो हमें मालुम 
है कौन तेरे दिल में 
जो उनको देखते ही 
झुकती न नज़र जानां