Sunday, September 2, 2012

भीगती  निगाहों से,ख़्वाब जो सजाती हूँ
उसकी बेरुख़ी से फिर दिल को क्यों दूखाती  हूँ

बेसबब महोब्बत में दिल को आजमाती हूँ
वो क़रीब आता है मैं फासला बढाती हूँ

दिल की कशमकश कैसी,जो बिछड़ते क़दमों को
न वो रोक पाता  है, न मैं रोक पाती हूँ

देखती हूँ जोड़ कर तुझे,ग़ैरों के मैं नामों से
अब मैं तेरी उल्फत में ऐसे दिल जलाती  हूँ

वक़्त की ये तल्ख़ी नहीं,फैसला ये मेरा है
के मैं जिंदगी तुझ को तनहा ही बिताती हूँ ........

Tuesday, August 28, 2012

दिल मेरा कब दीवाना न था
साथ उसको निभाना न था
आ  मैं वो शहर छोड़ कर
अजनबी था वो अपना न था

बिखर कर हसीं फूल को
तोड़ दीं पंखुड़ियाँ सभी
इतना भी क्यों बदल वो गया
उसका अंदाज़ ऐसा न था

वो निगाहें मिला न सका
कहते कहते ही चुप रह गया
मैंने जाना के कुछ भी हो अब
दिल का तूफ़ान थमना न था

दिल में तूफ़ान घर कर गया
वो जो बोला के जी भर गया
उसको अब और कहना न था
मुझको अब और सुनना न था

अश्कों का दरिया मेरा
नजाने वो क्यों पी गया
तिश्नगी इतनी कैसे रही
ग़म मेरा इतना प्यासा न था

तुम से ये इल्तज़ा हैं मेरी
मिल भी जाओ कभी राहों में
इस तरह से गुजर जाना तुम
जैसे के तुमने देखा न था 

Wednesday, March 21, 2012

तेरी यादों की





तेरी यादों की 

तेरी यादों की साये से हम
रोज़ बच के निकलते रहे
 यह मुसलसल चला सिलसिला
रात भर फिर भी जलते रहे 


न तुम जान पाए हमें
न हम जान पाए तुम्हे 
कहानी कुछ ऐसी रही
सिर्फ पन्ने पलटते रहे .....


मिली जब से मुझे ये ख़बर
तू आने वाला मेरे शहर में
मिलना मुमकिन नहीं है मगर
हम घर के अन्दर संवरते रहे.........






Friday, February 10, 2012

बड़ी देर तक....

बड़ी देर तक मुझे शाम को 
इस कदर वह फिर याद आ गया 
मुझे रंजो  ग़म के गिरफ्त में 
ख़त आख़री जो थमा  गया 

तूफान बन के गुजर गया 
हर लम्स तेरे ख़याल का 
मेरे दिल को भी न ख़बर हुयी 
कब आया वह और चला गया 

मुझे मंजिलों की न थी कभी 
न ही रास्तों की तलाश थी 
है बुझा बुझा मेरा दिल यह क्यों 
वह है कौन इसे जो बुझा गया 

मैंने जिंदगी की तरह जिसे 
चाहा था हद से गुजर गुजर 
सरेराह मेरे महोब्बत का 
आज वह तमाशा बना गया 

तनहा तो यूं भी मैं रहती थी 
लेकिन ख़लीस दिल में है क्यों 
मेरी धड़कने तो सलामत हैं 
दिल से मगर यह क्या गया 

आज वह मेरी निगाहों से 
सवाल बन के उतर गया 
लौटा सका न वह वक़्त को 
ख़त मेरे पर लौटा गया .......



Wednesday, January 18, 2012

किसी और का है तू हमसफ़र

किसी और का है तू हमसफ़र 
कोई अजनबी का ख़याल है 
तुझे कैसे क्या मैं बताऊँ अब 
तेरे बाद क्या मेरा हाल है 

मुझे अपने दिल में बसाया भी 
और दिल से मुझ को जुदा किया 
और कुछ नहीं तो तेरे लिए 
मेरे दिल में एक सवाल है 

मुझे रात की तनहाई में 
ग़मों की बाँहों में छोड़ कर 
ये सुना है मैंने इन दिनों 
वो उधर बहुत ख़ुशहाल   है 

कभी इस गली कभी उस गली 
कभी ये कली कभी वो कली 
उस प्यार के व्यापारी का 
ये सिलसिला बेमिसाल है 

अब यादें धुंदली हो चुकीं 
मैंने भी सब कुछ भुला दिया 
ख़ुद से ही खुश रहती हूँ मैं 
सब वक़्त का ही कमाल है ......


Wednesday, January 4, 2012

ख़यालों के झुण्ड जब कभी परेशां करते हैं
जब कभी  बात बात पर तेरी याद आती है 
तुझे देखती हूँ जब किसी हसीं निगाहों में 
मुझे अपनी आँखों की बचैनी सताती है 

    तू क्या है? कौन है? किस का है ,  क्या मालूम 
है तेरी जुस्तजू   हर फूल में, अंगारों में
तेरी गुमनाम चाहत की  हद कैसे समझाउं तुझे
तेरा ही चेहरा दीखता मुझे आसमानी सितारों में

तू बस अपने  दिल की बात बता दे
मिलने के लिए  कोई तनहा रात बता दे
नामुमकिन सा लगने लगा अब यादों के सहारे जीना
हमनफस तू सिर्फ मुझे निगाहों की ज़ज्बात बता दे


नहीं आता मुझको छुपाना ज़माने से
तू ही तू है सासों की हर रवानी में
है जो चाहत तो फिर एतराज़ क्यों तुझको
मैं तो ऐलान करदूं ,हूँ तेरी दीवानी मैं
हूँ तेरी दीवानी मैं ...................