Wednesday, March 21, 2012

तेरी यादों की





तेरी यादों की 

तेरी यादों की साये से हम
रोज़ बच के निकलते रहे
 यह मुसलसल चला सिलसिला
रात भर फिर भी जलते रहे 


न तुम जान पाए हमें
न हम जान पाए तुम्हे 
कहानी कुछ ऐसी रही
सिर्फ पन्ने पलटते रहे .....


मिली जब से मुझे ये ख़बर
तू आने वाला मेरे शहर में
मिलना मुमकिन नहीं है मगर
हम घर के अन्दर संवरते रहे.........






3 comments:

शाहजाहां खान “लुत्फ़ी कैमूरी” said...

SUBHAN ALLAH KYA KAH DIYA AAPNE...BAHUT KHOOB..LUTFI KAIMURI KA SALAM MUBARAK HO..KHAS KAR AAPKE NAZM KI YE LINES MUJHE ZYADA HI ACHHI LAGI....
तेरी यादों की साये से हम
रोज़ बच के निकलते रहे
यह मुसलसल चला सिलसिला
रात भर फिर भी जलते रहे ...

ANULATA RAJ NAIR said...

वाह...
बहुत खूब...

अनु

tara k.c muskan said...

तिमि जित या हर मलाई के मतलव ।।
तिमि सर या झर मलाई के मतलव ।।
समिपमा ल्याउछु भने, तिमि आफै टाडिएसि ।
तिमि हौ समिप या पर मलाई के मतलव ।।
पहाड जस्तो मेरो मायाँ,तिल झै लिएपछि ।
तिमि जस्को छौ भर मलाई के मतलव ।।
सागर रूपी मायाँ तिम्ले,एकै लात हाने पछि ।
अर्कै लाई जे मायाँ गर मलाई के मतलव ।।
यता को बोट सुकाएर,उताको फुलाउने ।
तिम्रो दिलको यो रहर मलाई के मतलव