Wednesday, September 2, 2009

कितना मुश्किल है.

कितना मुश्किल होता है,आँखों से बहते आंसुवो को रोकना।
जैसे के धीरे धीरे ज़हर कोई उतर रहा को सीने में ....

ऐ अजनबी तू कल भी अजनबी था ,आज भी अजनबी है।
ये सायद हमारी ही भूल थी,के करीब आ गए हम.............






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