Tuesday, September 8, 2009

रहने दो....

रहने दो बेहोश हमे ,होश में तो उनकी याद आती है।
अच्छा है के बंद है निगाहें हमारी,खुली आँखों को तो तन्हाई सताती है..

रहने दो परदे में उन्हें,के रहे सलामत हुस्न उनका ।
जो पड़ी हमारी निगाहें उनपर ,वो कहते है के उनकी सांसे रुक जाती है..

चले जायँगे हम उनकी शहर से,के आख़री बार मिलने की तमन्ना है॥
सुना है के एक उनकी हँसी,दिलों पर क़यामत ढाती है......





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