Friday, August 28, 2009

ख़बर है के

ख़बर है के मौत आरही है मेरे घर ।
सामान अपना अपने साथ लारही है मेरे घर॥

जानना है तो आजाओ ,लुटी कैसे मेरी कश्ती।
ये शाम जख्मी फ़साने, सुनारही है मेरे घर॥

गुमसुम मायूस सी ,निगाहें तुम्हारी।
सायद कोई राज़ छूपारही है मेरे घर॥






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