Monday, December 28, 2009

तुझे मेरी.....

तुझे मेरी बर्बादी का, इलज़ाम लगाने के बाद।
मुझे होगी तसल्ली तुझे, बदनाम करने के बाद...

तेरे लिए है किस कदर, नफरत क्या बताऊ अब।
खिलेगी हँसी तुझे ग़म ,तमाम देने के बाद॥

अपने पूरे जिंदगी का, सुकून भरा जस्न ।
मनाऊंगा रुसवा तुझे ,सरेआम करने के बाद॥

तुने जो दिया जख्म,अब तो बस ये सोचा है।
हूँगा रुक्सत दुनिया से, इन्तक़ाम लेने के बाद॥

तड़पता हुवा हर रोज़, इस मजार से उस मजार तक।
गुजरुंगा तेरी गली से तुझे ,सलाम करने के बाद......



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