Thursday, December 10, 2009

इश्क को------

इश्क को रखेंगे हम पत्थर बना कर सिने में ।
के एक तेरी याद हमेशा आती रहे।
तुने तोडा है इस दिल को फ़िर भी।
तेरी दुनिया रौशनी से जगमगाती रहे॥

हमारा है क्या चन्द लम्हों के मुसाफिर ,
कभी मिले थे हम भी भूल जाना तुम।
जब गुजरेंगे तुम्हारी गली से किसी रोज़ ।
मुड कर देखेंगे जरूर,एक बार बुलाना तुम॥

वो बातें अपनी और वो हसने रोने की बुनियादें,
जब कभी शाम को,हवा का एक झोंका
तुम्हारी याद से हमे बिखर कर जाएगा,
और हम बेचैन निगाहों से तुम्हे इधर उधर देखेंगे,
तुम अगर सामने आ न सको,
गुजारिश है इतनी,मेरे ख़यालों में बस कर,
दिल की तस्सली के लिए,मेरी यादों में आ जाना तुम॥

कुछ चीजें मेरी,बहोत क़ीमती।
अब भी सायद वही पर है,
वो बेकरारी से भरी धडकनों की तेज़ रफ़्तार।
इंतजार में तड़प कर गुजरता हुआ हर लम्हा,
जब पहली बार तुम्हारा नाम अपने हाथ में लिखा,
और अनजानी शर्म से जब मेरा चेहरा लाल हुआ था,
मेरी चहरे की वो पहली लाली ,सब सब तुम्हारे पास है।
अगर मिल जाए कभी तुम्हे ये सारी चीजें,
तो देर मत करना तुम
मेरे जीने का जरिया ,मुझको लौटा देना तुम
मेरे जीने का जरिया मुझको लौटा देना तुम.......