Monday, February 1, 2010

पगली


''कितना अच्छा है ना?''मैंने उस से पुछा,
उसने कहा ''क्या?''मैंने कहा ''तुम्हारा चेहरा ''
''पगली'' फिर वो धेरे से मुस्कुराया ।
लम्बी सी उस सुनसान सड़क पर
मेरा हाथ उसके हाथ मे था
और हम कही खोये हुए थे ।
सब कुछ कितना अच्छा लगता था ,
उसने जो मुझे ''पगली''कहा
मुझे लगा की ........
वो मुझे हमेशा इसी तरह ''पगली''कहता रहे .......
और मे उसके लिए''पगली''बनती रहू हमेशा हमेशा ...

वो जूनून था इश्क का
हलचल थी धडकनों कि
खुशबू थी जो हवाओं मे
उसकी साँसों कि थी.......


क्या समां था वो क्या मंज़र था वो ,
जो शर्द हवाओ मे फैली हुई गर्मी थी
कुछ और नहीं उसकी बाहों कि थी ......

आजाओ तुम वापस दिल के तस्सली ही सही
मुझे एक बार फिर से ''पगली'' कहो
मे शर्माती हुई तुम्हारी बाहों मे छुप जाउंगी ....
फिर उस लम्बी सी सुनसान सड़क पर
तुम,मे और हमारा प्यार चलता रहे
हमेशा हमेशा जिंदगी भर
हम और हमारा प्यार
हम और हमारा प्यार.....




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