Tuesday, January 27, 2009

जूनून

जिंदगी ये माज़रा समझ जाए तो क्या
जूनून जब हद से गुजर जाए तो कया....

वो हसीं लम्हात, वो आरजू-ऐ- इश्क
आज सारे टूटकर बिखर जाए तो क्या....

बेवफा वक़्त के आगे, न रोके दिखाना।
तेरे सामने उनकी मांग संवर जाए तो क्या....

काफिर भूलादिया तुझे न कभी पास आना
तेरी रंजिश मैं दिल कुछ कर जाए तो क्या.....

Dikshya


1 comment:

Anonymous said...

waah!! waah!!