Thursday, January 22, 2009

मेरी जन्नत

मेरी जन्नत है उनकी बाहों मैं
दोनों जहाँ हो उनकी निगाहों मैं

कुछ इस तरह से नज़रे चुराते है वो,
एक दिलकशी सी है उनकी अदाओ मैं

वो मिलजाते काश तो बताते हम उन्हें,
एक उनकी तमन्ना है हमारी दुवाओं मैं

कैसे बताये ये हाल-ऐ दिल उन्हें,
के कितनी तड़प है हमारी सदाओ मैं

छोटी सी गुजारिश है तुझसे ऐ खुदा
हमारा ही चेहरा हो उनके खयालों मैं...

Dikshya


2 comments:

Anonymous said...

achchha prayas hai'mujhe aapki gajal pasand aaye, aap ki gajal ke sath-sath jo tasveer aapne lagaye hai wah bhi khoobsoorat hai.

--------------------------"VISHAL"

PRAKASH CHEPPALI said...

HEART TOUCHY. NICE ONE. KEEP DOING.