Monday, January 5, 2009

तुम्हारे लिए

तुम मुझे छोड़कर भी मुस्कुराकर चले गए
हमेशा मेरे दिल में घर बनाकर चले गए

देखा न जा सका वो रुक्सत तुम्हारा
चले गए तुम पर रुलाकर चले गए

यादो की दुनिया में तनहा ये दिल मेरा
जिंदगी क्या चीज़ है बताकर चले गए



1 comment:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

इक बात तो मैं भी कहे दूँ.....
दिखायी भी ना दिए हमें और
अपनी कविता पढ़कर चले गए...
वो शब्दों में उतर कर आए और
अर्थों में समाकर चले गए...!!