Thursday, July 15, 2010

नीलिमा तुम से प्यार करता हूँ.....

मेरे खिड़की के नीचे एक चिट्ठी कोई फ़ेक गया था
में जल्दी से नीचे भागी थी,चिट्ठी पढने के लिए
पत्थर में लिपटा हुवा कागज़ का टुकड़ा ....
उस पर लिखा था ''निलीमा तुम से प्यार करता हूँ''

पता नहीं आज अचानक कैसे याद आया मुझे
मेरे खिड़की के नीचे एक कागज़ का टुकड़ा
भरी बारिश में अकेले भीग रहा था
सायद इसीलिए .....

जिंदगी फिर भी चल ही तो रही है
मैंने जबाब दिया होता  तो भी  चलती ही
और  अभी भी चल रही है
हाँ ..हो सकता है जिंदगी कुछ आसान होती
और यूं भी हो सकता है
फिर वही जिंदगी मुश्किल लगती
इंसानी फ़ितरत जो है हमेशा नाखुश

''नीलीमा तुम से प्यार करता हूँ''
मैंने इन शब्दों बहुत बार पढ़ा
कभी छुपती कभी छुपाती
में तो बाबरी सी हो गयी थी
इस से पहले कभी भी
अपना नाम इतना अच्छा नहीं लगा
  
पर नीलिमा कभी कह नहीं पाई
उस से जिसने उसके खिड़की के नीचे
एक छोटा सा कागज़ का टुकड़ा फेका था
काश कह पाती''में भी तुम से प्यार करती हूँ''
लेकिन....
और आज तक वो जबाब
दिल के किसी कोने में दबा हुवा है
सायद कभी ज़ुबां पर आये
और कहे की
''तुम से महोब्बत है ''

13 comments:

दृष्या said...

Thank you thank you thank you sis, waited for such creations..n-X(Deutschland)

अनामिका की सदायें ...... said...

सुंदर अभिव्यक्ति.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

और नीलिमा.............हमें तुम्हारे लिखे से प्यार है....अगर तुम थोडा सा सुधार कर सको तो लेखनी का थोडा-सा अंदाज़ बदल सको....थोड़ी-सी गलतियां सुधार सको...तो लेखनी सुस्पष्ट भी हो जायेगी.....और पढने में भी अच्छी लगेगी.....ठीक कहा ना मैंने...ओ....नीलिमा.....!!!

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

अरे सॉरी .....सॉरी ....सॉरी .... दीक्षा .....तुम्हे नीलिमा कह गया...देख लिया ना तुम्हारी कविता का असर...!!....अब कह तो दिया सॉरी....अब तो गुसा मत करो भई....!!

डिम्पल मल्होत्रा said...

तुम ही न सुन सके अगर तो किस्सा ये गम सुनेगा कौन.
किसकी ज़ुबां खुलेगी फिर हम जो न सुना सके.

डॉ.भूपेन्द्र कुमार सिंह said...

Bahut komal premil anubhootiyan jo kabhi kabhi hi lafzo mey bandh pati hai.
Likhti rahiye ,badhiya soch aur sampreshan ki kshamta hai aapmey.swagat .
dr.bhoopendra
jeevansandarbh.blogspot.com

Darshan Lal Baweja said...

बहुत सुंदर ब्लॉग और कवितायें
धन्यवाद

Dev said...

अतिउत्तम !!......बहुत सुन्दर भाव मन से ये रचना प्रस्तुत किया है .....बहुत खूब .

Shayar Ashok : Assistant manager (Central Bank) said...

sundar.....yun hi likhte rahen....

News And Insights said...

shabdon ko gadhne ki kala koi kaviyon se seekh sakta hai,behtrin post

ASHU...The Conscience Of A Liberal...!!! said...

Hi Dikshya ur poems really so good ...
A Miraculous Creativity

ѕнαιя ∂я. ѕαηנαу ∂αηι said...

पहले प्यार को नारी मन से उकेरती एक सुन्दर रचना। रचनाकारा को मुबारक बाद।

amrendra "amar" said...

Aisi hi kasis hoti hai pyar me ..............