Monday, April 5, 2010

तीतली की तरह...

तीतली की तरह इतराके दिखा।
एक नज़र देखूं शरमाके दिखा॥

ख़ुशबू से तेरी गुलशन महके ।
बदन को जरा महकाके दिखा॥

कोई बुग्ज़ न कोई तल्ख़ी रहे।
रौनक़े दिल तू बढ़ाके दिखा॥

तू भी है हसीं मै भी हु जवां।
इमां को मेरे बहकाके दिखा॥

हो क़यामत आज महेफिल में ।
रूख़ से तू पर्दा हटाके दिखा ....




2 comments:

डिम्पल मल्होत्रा said...

तू भी है हसीं मै भी हु जवां।
इमां को मेरे बहकाके दिखा॥
aap apni hi tarah likhti bhi sunder hai.kuch khass nahi yun hi behad bhavuk kar gya.palke nam si ho gyee.

Anonymous said...

वाह वाह - बहुत खूब - तितली लाजवाब