Monday, November 16, 2009

तुमसे.....

तुम से प्यार करना ये अलग बात थी।
और तुम पे मरना ये अलग बात थी॥

चहा था तुमको, जिंदगी की तरह।
अपने मौत से डरना, ये अलग बात थी॥

होता अगर और भी कुछ ,जिंदगी के सिवा।
लुटा देते ,वरना ये अलग बात थी॥

यों तो बहोत है हमे देखने वाले भी मगर।
तुम्हारे लिए संवरना ये अलग बात थी..



तुम्हारी आँखे

तुम्हारी वो बोलती हुई आँखे ।
दिल के राज़ को खोलती हुई आँखे॥

इंतजार मे मेरी शायद घंटो तलक,
सुने आसमान को टटोलती हुई आँखे॥

क्या कहू वो मासूम सी शरारत से।
कभी इधर से उधर डोलती हुई आँखे॥





बुलबुल को लगी

म जस्ता अरु धेरै रोज्दै छे रे हिजो आज।
बुलबुल अर्कै अनुरागी खोज्दै छे रे हिजोआज ..

जगाएर प्यास मनमा,एक्लै एक्लै छोड़ीदिने ।
परदेसी को बारेमानै सोच्दै छे रे हिजोआज ॥

आफ्नै रातो रागतले गुलाफ़लाई रंगाउन।
कांडा माझ आफ्नै मुटु घोच्दै छे रे हिजोआज॥