Tuesday, October 27, 2009

पैमाना .....

पैमाना,बगैर ज़ाम खालि के सिवा कुछ नही।
जिंदगी एक गन्दी गाली के सिवा कुछ नही॥

बिकते है हर रोज़ जिस्म यहाँ बाजारों मै
जो बेबसी पर गूंजती ताली के सिवा कुछ नही॥

क्या कहु अपनी क़िस्मत,एक ऐसे पेड़ की,
न गिरती न झूलती डाली के सिवा कुछ नही॥

कबाब समझ कर खाता है जो नमक रोटी भी।
दाने दाने को तरसती थाली के सिवा कुछ नही..



Friday, October 16, 2009

कुछ तो हुवा है ......

कुछ तो हुवा था,उस रात की खामोशी में।
मेरी तस्वीर मिली थी उन आंखों की मदहोशी में॥

घबराया हुवा सा फ़िर रहा है मेरा यार तनहा तनहा।
सायद उसने दिल खोया है,इन बाहों की सरगोशी में॥

उसकी हथेली पर सायद वो मेरा ही नाम था।
जो लिखा था उसने मेरी जुस्तजू की बेहोशी में॥

बता रहा हु मै ऐ यार अपना हल-ऐ- क़रार तुझको।
के तेरा ही वजूद है मेरे दिल की सरफ़रोशी मै ...




Wednesday, October 14, 2009

तुम्हारी आंखों में

तुम्हारी आंखों में कोई ख्वाब नजर आता हे
सुबह का खिलता हुवा आफ़ताब नज़र आता हे।

तुम मुस्कुराते हो तो जी उठती हे जिंदगी।
तुम्हारी हसीं में वक्त का ठहराब नज़र आता हे।

रोज़-ओ-शब् जिनकी याद में मचलती हे आरजू
उन आंखों में इश्क का सैलाब नज़र आता हे॥

छुपालो अपना इश्क हमसे ,पर तुम्हारे चहरे पर ।
वो तुम्हारा शर्माना बेहिसाब नज़र आता हे॥




Friday, October 9, 2009

तुम्हारे लिए

तन्हाई में कभी अपने आप से बात करती हूँ
यों ही अपने आँचल को उँगलियों में लपेटते
हुए ।
बीते हुए लमहों को आँखों में सजाते हुए....
याद है तुम्हे, जब वक्त को रोकने के लिए
मैंने अपनी हाथ की घड़ी को बंद किया था
तुम खामोश होकर मेरी तरफ़ देख रहे थे ।
और उसी उदास शाम के साथ साथ
तुम्हारी भी आँखे नम होगई थी ......
तुम अपने आंसूवो को रोकने के लिए
बड़ी देर तक आसमान को टटोल रहे थे
में भी गुमसुम सी बस तुम्हारे जाने का इतंजार कर रही थी.......
कैसा रिश्ता था वो,कितना सुकून कितना करार....
जुदा होकर भी पास होने का एहेसास ॥
दिल के कोने में वो कोई मीठा सा दर्द
सायद वो इश्क ही था जिसके लिए हम जिंदा थे..
में सलाम करती हूँ उस इश्क को....
जो दुनिया को इतना मीठा एहेसास दिलाता है....
और सलाम तुमको जो मेरे दिल में हमेशा से धड़क रहे हो ...
सलाम......सलाम......