Sunday, February 15, 2009

तिम्रो यादमा....

आंसू ले सपना लाई बागाउछ साँझ पर्दा।
जब तिम्रा कुराहरु याद आउछ सांझ पर्दा।

तिमी छूट्यौ धेरै पछि धेरै पर दौडीएछु ,
हाथ हेर्छु खाली मन डराउछ साँझ पर्दा।

उजाड बस्ती एकैछिन सुस्ताएको बेला जब,
यो मुटुले तिमिलैने बोलाउछ साँझ पर्दा।

तिमिलेनै पर बाट बोलाएझै लाग्छ मलाई ,
बतासले केश जब फरफराउछ साँझ पर्दा........



यु ही....

आज फ़िर से दिल को दुखाने बैठी हु

और फ़िर से ख़ुद को रुलाने बैठी hu

तू समझाता है मुझे फ़िर भी मगर।

नही मानता दिल उसे समझाने बैठी हु।

तेरे पहेले इश्क का बेआबरू सा चेहरा

पूछता है सवाल उसे मिटाने बैठी हु.......





Wednesday, February 4, 2009

कुछ ज़ज्बात .

यहाँ हर दिन डर मैं गुजरती है...
हर रात सिस्कियों मैं ढलती है....
जीते है लोग यहाँ पर भी लेकिन.....
हर नई जिंदगी मौत मैं बदलती है.................


एहेसास

अपने ही लोगों के बिच अजनबी होने का एहेसास.
एक दूसरे की आंखों में मौत का खौफ देखने का एहेसास।
क्या ख़बर की मौत कब दे दस्तक दरवाजों पर.
अपनी ही ज़मी पर अपना मजार ढूंढने का एहेसास........