"अपने ही हाथो से ज़हर पिलाकर चले जाओ...
आखरी बार हमसे नज़र मिलकर चले जाओ.
पहेनकर ये हसीं चेहरा तुम बड़े हसीं लग्ते हो...
होजाए दीदार रुख से पर्दा हटाकर चले जाओ.
जूनून-ऐ इश्क़ के चलते जो लिखा था नाम हमने...
चुब रहा है दिल पर इसे मिटा कर चले जाओ.
भुलाकर कसमे वादे जो हाथ तुमने छोड़ दिया...
खंता क्या हुई हमसे बताकर चले जाओ।
आखरी बार हमसे नज़र मिलकर चले जाओ.
पहेनकर ये हसीं चेहरा तुम बड़े हसीं लग्ते हो...
होजाए दीदार रुख से पर्दा हटाकर चले जाओ.
जूनून-ऐ इश्क़ के चलते जो लिखा था नाम हमने...
चुब रहा है दिल पर इसे मिटा कर चले जाओ.
भुलाकर कसमे वादे जो हाथ तुमने छोड़ दिया...
खंता क्या हुई हमसे बताकर चले जाओ।

"
3 comments:
read ur dard ka haseen mahal really nice
थोड़ा-थोड़ा सुधार चाहिए....समझ गई होंगी ना कि क्या.....??
साह्रै उत्कृष्ट गजलहरु पढ्ने मौका पाएँ । न नेपाली न हिन्दी सवै उत्तिकै मर्मस्पर्शी छन् । यी गजललाई व्लगमा मात्र सिमित राख्नु भन्दा गजल सङ्ग्रह मार्फत खुल्ला आकाशको चिसो सिरेटोसँग लडबडी गर्ने मौका दिए राम्रो हुन्थ्यो । छिट्टै गजल सङग्रह पाउने आशा सहित साहित्यिक सफलताको शूभकामना ।
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