तेरी यादों की
तेरी यादों की साये से हम
रोज़ बच के निकलते रहे
यह मुसलसल चला सिलसिला
रात भर फिर भी जलते रहे
न तुम जान पाए हमें
न हम जान पाए तुम्हे
कहानी कुछ ऐसी रही
सिर्फ पन्ने पलटते रहे .....
मिली जब से मुझे ये ख़बर
तू आने वाला मेरे शहर में
मिलना मुमकिन नहीं है मगर
हम घर के अन्दर संवरते रहे.........