Thursday, May 20, 2010

चेहरा तुम्हारा कुछ जाना पहचाना सा..

चेहरा तुम्हारा कुछ जाना पहचाना सा॥
सायद मैंने अपने ख्वाबों में देखा है तुमको
कई बार रात में दिन में सुबह को या शाम को
हाँ मैंने बस तुम को ही देखा है
या यूं कहू देखा था,आज बड़े दिनों बाद
पास से देखा मैंने तुम्हारा चेहरा मुझे अजनबी सा लगा
मानों में तुम को जैसे जानती ही नहीं
या यूं कहू तुम को कभी इस से पहले देखा ही नहीं

अब नहीं कह सकती की ...
चेहरा तुम्हारा कुछ जाना पहचाना सा.....
क्या तुमने इस से पहले नक़ाब पहन रखा था?
या अभी पहने हुए हो?
कुछ तो बताओ
फिर क्यों हुवा ऐसा
चेहरा तुम्हारा वो जाना पहचाना सा...
एकदम से अजनबी कैसे हो गया?....

अरे .......दोस्त
हम तो शायर है दिल के मारे हुए॥
दुनियां से हारे हुए ....

'' इश्क भरे अंदाज़ में फ़रेब करना
जान गए के तुम्हारी फितरत है
यूं तो बेवक़ूफ़ हम ही थे
जो समझ बैठे के
फ़रेब का चेहरा कितना हसीं होता है.....''

एक नाचती तितली को जो अपने हाथो से मरोड़ा तुमने
तुम खुश हुए अपने जीत पर
उसके हर अश्क जा जबाब जब वो मांगेगा तुम से
सरेआम जिंदगी का पन्ना पलटते रह जाओगे....''



8 comments:

संजय भास्‍कर said...

क्या आशिकाना अंदाज़ है ........ बहुत खूब .......

VIVEK VK JAIN said...

'' इश्क भरे अंदाज़ में फ़रेब करना
जान गए के तुम्हारी फितरत है
यूं तो बेवक़ूफ़ हम ही थे
जो समझ बैठे के
फ़रेब का चेहरा कितना हसीं होता है.....''
really touching......

डिम्पल मल्होत्रा said...

dikshya,
jana pahchana chehra baar baar kahna bahut baar repeat hua hai jo kavita ki khoobsurti kam karta hai.

Anonymous said...

puri tarah sehmat hoon dimple ji se.....
lekin prayaas achha hai..
yun hi likhte rahein....

Udan Tashtari said...

अच्छा लगा आपको पढ़ना.

Poonam Agrawal said...

Bahut khoob..ek advise dena chahti hun aapka template vaise to bahut sunder hai lakin usper aapki sunder kavitaye padhne mein jara mushkil hoti hai clearity ki kami lagi..vaise aap likhti bahut khoob hai....aise hi likhti rahiye....thanks

राजेश उत्‍साही said...

आपके ब्‍लाग पर आकर अच्‍छा लगा। नेपाली समझ में तो नहीं आई। पर उसका माधुर्य देवनागरी में पढ़ना दिल को छू गया।

Mukesh said...

very nice! heart touching..excellent