Friday, August 28, 2009

ख़बर है के

ख़बर है के मौत आरही है मेरे घर ।
सामान अपना अपने साथ लारही है मेरे घर॥

जानना है तो आजाओ ,लुटी कैसे मेरी कश्ती।
ये शाम जख्मी फ़साने, सुनारही है मेरे घर॥

गुमसुम मायूस सी ,निगाहें तुम्हारी।
सायद कोई राज़ छूपारही है मेरे घर॥






अनकहे अहसास

तेरी धडकनों को सुनकर एक ख़याल आया है।
के दुनिया बेरंग है तेरे बिना
बहूत दिनों के बाद तेरी आँखोंमें ,मैंने इश्क का एक सैलाब देखा।
मैं उसमे डूबती गई और तू मुझे डुबोता चलागया ..........




Thursday, August 27, 2009

अपना अलग आशियाँ

अपना अलग आशियाँ बनाओगे कैसे।
अरमानो को फ़िर से जगाओगे कैसे॥

वो बातें वो यादें ,गुजरे हुए कल के।
उन यादो से दूर तुम जाओगे कैसे॥

हुए जो कभी रूबरू राह चलते चलते।
बीते हुए लम्हों से नज़र मिलाओगे कैसे॥

हिल जाओगे तुम भी अगर वक्त ने करवट ले लिया।
अपने पहले इश्क का दर्द भूलाओगे कैसे॥

तुम ने तो निकला है उसे अपने दिल से।
पर उसके दिल से खुदको निकालोगे कैसे...





मुझको बनने वाले

मुझको बनाने वाले ,इतना करम किया होता।
मेरी होठो पर भी होती हँसी,अगर तुने दिल न बनाया होता॥

कैसे बताये हम फ़साने,लुटे हुए अरमानो का।
हमारी भी आज संवरती मांग अगर तुने हाथ बढाया होता॥

जलाकर इस नादाँ दिल को,जो उस मोड़ से गुजर गया॥
सुकून मिलता मेरे दिल को,अगर मुझे भी तुने जलाया होता॥

आज न तू है ,न तेरे आने की वो आहट।
शिकाएत इतनी है असमान वाले से,हम यु न बरबाद होते,
अगर तुने महोब्बत न सिखाया होता.....