Friday, May 27, 2011

मैंने अब इश्क़ को पन्नों में सजाना छोड़ा
रुख़ महोब्बत का अपने दिल के तरफ से मोड़ा
जो दगा दे गया वो कल तक था अपना ही
जिस ने तनहा ही मुझे  बिच सफ़र में छोड़ा