मैंने अब इश्क़ को पन्नों में सजाना छोड़ा
रुख़ महोब्बत का अपने दिल के तरफ से मोड़ा
जो दगा दे गया वो कल तक था अपना ही
जिस ने तनहा ही मुझे बिच सफ़र में छोड़ा
रुख़ महोब्बत का अपने दिल के तरफ से मोड़ा
जो दगा दे गया वो कल तक था अपना ही
जिस ने तनहा ही मुझे बिच सफ़र में छोड़ा