अब से तुम कभी मत कहना,''तू मेरे लिए सब कुछ है
मेरा असमान,मेरी धरती,मेरी पूरी दुनिया,सब सब तू ही है
मेरे जीने का जरिया,मेरे होठों की हसीं,मेरे आँखों का नूर
खिलता हुवा गुलाब ,मदभरी आँखों की वो बेचैनी..सब सब तू
अब से तुम ये सब कभी मत कहना
नहीं तो मुझे ये सब सच लगने लगेगा
आदत मेरी बिगड़ जाएगी
में फिर इतरा इतरा के डोलने लगूंगी
पाँव जमीन पर नहीं पड़ेंगे..
खिलता हुवा गुलाब से अपने को तौला करुँगी
और फिर कभी मुझे अपने मजाक बन्ने का अहसास हुवा
तो टूट जाउंगी,बिखर जाउंगी .....
इसीलिए अच्छा होगा तुम ये कभी मत कहना
क्यों की अब डरती हूँ हो सकता है हिमत नहीं है मुझ में चोट खाने की ....