Sunday, May 23, 2010

सकम्बरी सुयोगवीर पारिजात र सिरीष को फूल [नेपाली कविता]

तिमी मलाई आफ्नो नजिक आउन नदेऊ
म केही न केही गरिदिन सक्छु
म आगो बनिसकें भित्र भित्रै
हुन सक्छ तिम्रो मुटु जलाउन सक्छु ..


तिमी जस्तै म पनि एक्लै एक्लै दुखेको छू.
नभन संग संगै दुखौं जिन्दगीमा.
आवारा बतास बनेको छू हिजो आज
आफु संगै तिमी लाई उड़ाउन सक्छु..

सकम्बरी सुयोगवीर पारिजात र सिरीष को फूल
इशारा निशाना मौन हाम्रो जिंदगीको
समयको सीमा रेखा नाघ्ने आंट आऊछ जब
एउटा अर्को सिरीष को फूल फुलाउन सक्छु.
एउटा अर्को सिरीषको फूल फुलाउन सक्छु

Thursday, May 20, 2010

चेहरा तुम्हारा कुछ जाना पहचाना सा..

चेहरा तुम्हारा कुछ जाना पहचाना सा॥
सायद मैंने अपने ख्वाबों में देखा है तुमको
कई बार रात में दिन में सुबह को या शाम को
हाँ मैंने बस तुम को ही देखा है
या यूं कहू देखा था,आज बड़े दिनों बाद
पास से देखा मैंने तुम्हारा चेहरा मुझे अजनबी सा लगा
मानों में तुम को जैसे जानती ही नहीं
या यूं कहू तुम को कभी इस से पहले देखा ही नहीं

अब नहीं कह सकती की ...
चेहरा तुम्हारा कुछ जाना पहचाना सा.....
क्या तुमने इस से पहले नक़ाब पहन रखा था?
या अभी पहने हुए हो?
कुछ तो बताओ
फिर क्यों हुवा ऐसा
चेहरा तुम्हारा वो जाना पहचाना सा...
एकदम से अजनबी कैसे हो गया?....

अरे .......दोस्त
हम तो शायर है दिल के मारे हुए॥
दुनियां से हारे हुए ....

'' इश्क भरे अंदाज़ में फ़रेब करना
जान गए के तुम्हारी फितरत है
यूं तो बेवक़ूफ़ हम ही थे
जो समझ बैठे के
फ़रेब का चेहरा कितना हसीं होता है.....''

एक नाचती तितली को जो अपने हाथो से मरोड़ा तुमने
तुम खुश हुए अपने जीत पर
उसके हर अश्क जा जबाब जब वो मांगेगा तुम से
सरेआम जिंदगी का पन्ना पलटते रह जाओगे....''



nepali ghazal

 मेरो माँयालाई बजारमा सजाउने तिमी नै हौ.
 तमासा म बन्दा ताली बजाउने तिमी नै हौ ..

आफ्नै निर्दोष विश्वासको नीलामीमा सड़क मांझ
नाच्न विवश पार्दै चांप बंधाउने तिमी नै हौ..

मेरो चोखो समर्पण र भावनाको चिता माथी.
आफ्नो सपनाको महल बसाउने तिमी नै हौ..