Wednesday, January 21, 2009
अपनी कलम
अपनी कलम से एक दास्तान लिख रही हु
धड़कते
हुए दिल का बयान लिख रही हु
वो नजरो का मिलना भूला न पाई मैं
ख़ुद अपने ख्वाबो का फ़साना लिख रही हु.......
Dikshya
2 comments:
makrand
said...
bahut khub
keep writing
January 22, 2009 at 1:03 AM
Anonymous said...
सुंदर और रमणीय अभिव्यक्ति .. शुभ कामनाएं
February 13, 2009 at 10:54 AM
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2 comments:
bahut khub
keep writing
सुंदर और रमणीय अभिव्यक्ति .. शुभ कामनाएं
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