कितना मुश्किल होता है,आँखों से बहते आंसुवो को रोकना।
जैसे के धीरे धीरे ज़हर कोई उतर रहा को सीने में ....
ऐ अजनबी तू कल भी अजनबी था ,आज भी अजनबी है।
ये सायद हमारी ही भूल थी,के करीब आ गए हम.............
जैसे के धीरे धीरे ज़हर कोई उतर रहा को सीने में ....
ऐ अजनबी तू कल भी अजनबी था ,आज भी अजनबी है।
ये सायद हमारी ही भूल थी,के करीब आ गए हम.............
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