तू जान है मेरी ,यही जानकर सायद मेरी जान लिए जाता है
होकर दूर मुझसे ,मेरी तन्हाईयों को छेडा करता है।
कैसे रोकू मैं ख़ुद को तुझसे प्यार करने से
तू जालिम है फ़िर भी लेकिन,ये दिल है के तुझपर ही मरता है.............
होकर दूर मुझसे ,मेरी तन्हाईयों को छेडा करता है।
कैसे रोकू मैं ख़ुद को तुझसे प्यार करने से
तू जालिम है फ़िर भी लेकिन,ये दिल है के तुझपर ही मरता है.............
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