मीटा नहीं है अभी तक,यादोँ का एक घर है मुझ मैं
जुबां तक जो न आया कभी,ज़ज्बातों का भंवर है मुझ में
तमाम उम्र का सवाल आये तो वहीँ ठहर जाओ तुम
तनहा ही चले चलने का जज़्बा ऐ सफर है मुझ में
तुम्हारे जी में आये जितना मेरे आँखों को नम करो तो करो
दर्द के साये में भी ,हंसने का हुनर है मुझ में
1 comment:
Very nice....
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