Sunday, March 22, 2009

तुम्हारी आँखों की

तुम्हारी आँखों की नूर की कसम
दिल को तुमपर बहोत प्यार आया,

आज हमारे भी निगाहों मैं ,
तुम्हारा ही चेहरा बार बार आया।

होकर मुझसे रूबरू जो तुमने कदम बढाया,
मुझे यू लगा के गुलशनो मैं बाहार आया,
सुना था के होता है हुस्न मैं एक जादू ,
तुमको देखकर मुझे एतबार आया॥

तुम्हारे ही पनाहों मैं है जिंदगी मेरी,
तुम्हे पाकर ख़याल हर बार आया,
मिले हम तुमसे कुछ इस तरह के,
तुम्हारे साथ सारा संसार आया...

तुम्हारे बगैर दिल कही लगता नही,
तुम आए तो दिल को करार आया।
यादो मैं तेरे लिपटकर दीवारों से ,
रोना हमे आज जार जार आया.........




जिंदगी रेत की.......

जिंदगी रेत की मानिंद हाथो से फिसलती चली गई ।
होश आया तो हाथ खाली मिली वंहा कुछभी नथा।
मन के समंदर मैं शब्दों के कारवां आते चले गए,
कागज़पर उतारा तो वांहा शब्द ही न थे ।
कहने को तो हम अपनोके बीच थे ,
तन्हाई मैं पुकारा तो अपना कोई नथा ।
यू तो खड़े है हम एक गुलिस्तां मैं,
जिंदगी जो महेका दे ऐसा कोई गुल नथा....