किसी और का है तू हमसफ़र
कोई अजनबी का ख़याल है
तुझे कैसे क्या मैं बताऊँ अब
तेरे बाद क्या मेरा हाल है
मुझे अपने दिल में बसाया भी
और दिल से मुझ को जुदा किया
और कुछ नहीं तो तेरे लिए
मेरे दिल में एक सवाल है
मुझे रात की तनहाई में
ग़मों की बाँहों में छोड़ कर
ये सुना है मैंने इन दिनों
वो उधर बहुत ख़ुशहाल है
कभी इस गली कभी उस गली
कभी ये कली कभी वो कली
उस प्यार के व्यापारी का
ये सिलसिला बेमिसाल है
अब यादें धुंदली हो चुकीं
मैंने भी सब कुछ भुला दिया
ख़ुद से ही खुश रहती हूँ मैं