बेनक़ाब हो जा ज़रा चेहरा दिखा दे मुझ को
तू कौन है मेरा ये भी बता दे मुझ को
नामुमकीन है जहाँ में ,शीशे का दिल लिए फिरना
मेरे मालीक रहम कर ,पत्थर का बना दे मुझ को
मेरी हर उम्मीद नाउम्मीद हो के कहती रही
मैंने तुझ से कब ये कहा तू अपनी वफ़ा दे मुझ को
कभी हवाओं में घुल जा,कभी आहटों में घिर जा
बस के तू हर सु तेरे होने का निशां दे मुझ को
स्याह रातों के बज़्म में दिल तेरा घबराए अगर
खोल मेरी यादों की खिड़की और सदा दे मुझ को.