भीगती निगाहों से,ख़्वाब जो सजाती हूँ
उसकी बेरुख़ी से फिर दिल को क्यों दूखाती हूँ
बेसबब महोब्बत में दिल को आजमाती हूँ
वो क़रीब आता है मैं फासला बढाती हूँ
दिल की कशमकश कैसी,जो बिछड़ते क़दमों को
न वो रोक पाता है, न मैं रोक पाती हूँ
देखती हूँ जोड़ कर तुझे,ग़ैरों के मैं नामों से
अब मैं तेरी उल्फत में ऐसे दिल जलाती हूँ
वक़्त की ये तल्ख़ी नहीं,फैसला ये मेरा है
के मैं जिंदगी तुझ को तनहा ही बिताती हूँ ........
उसकी बेरुख़ी से फिर दिल को क्यों दूखाती हूँ
बेसबब महोब्बत में दिल को आजमाती हूँ
वो क़रीब आता है मैं फासला बढाती हूँ
दिल की कशमकश कैसी,जो बिछड़ते क़दमों को
न वो रोक पाता है, न मैं रोक पाती हूँ
देखती हूँ जोड़ कर तुझे,ग़ैरों के मैं नामों से
अब मैं तेरी उल्फत में ऐसे दिल जलाती हूँ
वक़्त की ये तल्ख़ी नहीं,फैसला ये मेरा है
के मैं जिंदगी तुझ को तनहा ही बिताती हूँ ........